Monday, July 10, 2023

इस ज़मीं से उस फ़लक़ तक 
है कोई तारा नहीं
मेरे हमदम सा ज़माने में 
कोई प्यारा नहीँ।।

एक मूरत को बसाकर 
कर दिया मन्दिर इसे
दिल हमारा घर है तेरा 
अब ये बेचारा नहीं।।

ज़िन्दगी में हूँ मैं शामिल 
दिल मे थोड़ी दे जगह
थोड़ी सी चाहत मुझे बस 
चाहिए सारा नही।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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