Tuesday, July 18, 2023

हम कहाँँ जा रहे हैं? क्यों जा रहे हैं?
वे यहाँ आ रहे हैं क्यों आ रहे हैं?
न वे समझ पा रहे हैं! न हम समझ पा रहे हैं!!

यहाँ कोई बहस नहीं है कोई तर्क नहीं है
जिसको जो भी कहना है कह रहा है
जिसको जो भी सहना है सह रहा है
मगर कोई भी रुक नहीं रहा है
बस चल रहा है चल रहा है

कौन हैं वो लोग? जो चले जा रहे हैं
कौन हैं वो लोग? जो चले आ रहे हैं?
स्वेद रक्त सिक्त मधुरतम और तिक्त
यह जीवन विधिवत जिए जा रहे हैं
जीवन का स्वाद वो लिए जा रहे हैं।

न शिकवा है न शिकायत है
न विरोध है न हिमायत है।
चलना ही कर्म है बढ़ना ही धर्म है
सहज स्वीकार है सब अंगीकार है
किए जा रहे हैं जीवन का अनुभव लिए जा रहे हैं। 

जिनको तर्क करना है करें....
डरना है डरें...... मरना है मरें......
आखिर चलने वाले क्यों इस फेर में पड़ें....!
वे तो बस.. चले जा रहे हैं.......।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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