चन्द लम्हो के अल्फाज़ो को रहने दो
तन्हा लम्हो को मेरे तन्हा रहने दो
इक मुलाकात बाद तलब न रहने दो
दर्द भरी अमावस को स्याही रहने दो
तुझसे पूनम इक रात की कसक रहने दो
न हो तू खुद से परेशा, परेशा अपनी हमे दे दो
आज नही हमे देना ही है तो हर सफर साथ दे दो
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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