Saturday, July 29, 2023

खामोश होंठो को खामोश रहने दो
चन्द लम्हो के अल्फाज़ो को रहने दो

तन्हा लम्हो को मेरे तन्हा रहने दो
इक मुलाकात बाद तलब न रहने दो

दर्द भरी अमावस को स्याही रहने दो
तुझसे पूनम इक रात की कसक रहने दो

न हो तू खुद से परेशा, परेशा अपनी हमे दे दो
आज नही हमे देना ही है तो हर सफर साथ दे दो

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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