Sunday, July 30, 2023

कभी यूं भी आ मेरे रूबरू
तुझे पास पा के मैं मुश्कुरा पड़ूं

मुझे मंज़िल ए इश्क़ पे हो यकीं
तुझे धड़कनों में सुना करूं

कभी सजा लूं तुझको आंखो में
कभी तस्बीहों में पढ़ा करूं

कभी चूम लूं तेरे हाथों को
कभी तेरे दिल में बसा करूं

कभी यूं भी आ मेरे रूबरू
तुझे पास पा के मैं मुश्कुरा पड़ूं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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