Wednesday, July 5, 2023
लो आसमान सी फैल उठीं वो नीली आँखें
लो उमड़ पड़ीं सागर सी वो भीगी आँखें
मेघश्याम सी घनी-घनी वो कारी आँखें
मधुशाला सी भरी-भरी वो भारी आँखें
एक भरे पैमाने सी जब छलकी आँखें
दिल मानो थम सा गया लेकिन धड़कीं आँखें
ओस में डूबी झील सरीखी वो नम सी आँखें
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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