Thursday, September 14, 2023

ए जिंदगी क्या चाहती हो तुम मुझसे
छोड़ जाती हो अक्सर मुझे चौराहे पर

तोड़ देती हो बारबार कई टुकड़ों में
बता कब तक भटकूं मैं इधरउधर

हरबार संभल कर चलने का करता हूं प्रयास
हरबार तोड़ देते हो,तुम क्यों मेरी आस

खंडित करके मुझे हरबार क्या पाते हो
जिंदगी तू इतना क्यों मुझे सताती हो

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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