Monday, September 18, 2023

तुम कोयलिया सी कूक उठो पंचम सुर में,
मैं अपने गीतों की बरसात तुम्हें दे दूंगा.

ज्येष्ठ की धूप देखो ढल गई संताप देकर.
दृगों से अश्रु ढुलके नेह का प्रस्ताव लेकर.

तुम सामवेद ऋचा सी बस जाओ उर में,
मैं अर्चन के पुष्प-पारिजात तुम्हें दे दूंगा.

दिल की हर धड़कन पर लिख नाम तुम्हारा.
नेह की मथनी से मथ मथ कर तुम्हें पुकारा.

तुम चँद्र किरण सी उतरो तो मानस पुर में,
मैं अपने जीवन के दिन रात तुम्हें दे दूंगा.

बिखरा दो वो संगीत समाया है जो नूपुर में,
मैं अपने इन प्राणों की सौगात तुम्हें दे दूंगा.

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

No comments:

Post a Comment