खुमार चढ़ता है तो उसे आता भी है उतरना.
हँसना हँसाना गर्ज़ नहीं मर्ज़ ही बना लो
दुआ करना, इस मर्ज़ से कभी ना उबरना.
अंजुम भर के दामन में न चाहिए उछलना
रो पड़ोगे जो मिल के पड़ेगा कभी बिछड़ना.
हाथ मेरे हाथ में दे रहे हो तो न भूलना
कि आता नहीं है मुझको वादे से मुकरना.
फ़िर मिलोगे कभी, ये आस जिंदा रहे मगर
इंतजार के दरिया में भूले से न उतरना..
#$h@πd!£y@
No comments:
Post a Comment