Tuesday, November 28, 2023

जिस फूल में कोमलता की कोई झलक नही
उस सरोवर के फूल को हम "कमल" कैसे कहें।

जिनकी आँखोमें अपनों के लिए कभी दर्द न हो
उन बेरुखी आँखोको यूं भला "सजल" कैसे कहें।

जिस महल में मुमताज़ के प्यार की महक नही
उस महल को हम भला "ताजमहल" कैसे कहें।

जिस बादल में गर्जन करने का सामर्थ्य ही नही
आसमान फैला धुंधलका को "बादल" कैसे कहें।

जिस अंजन में आंखोंको निखारने का तर्ज नहीं 
उस सुरमा को हम आँखोंकी काजल  कैसे कहें।

जब मन में सवाल नही तो हल कैसे लिख पाएंगे।
जब तलक तेरा दीदार न हो हम "गजल"कैसे कहें।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

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