Friday, December 1, 2023

पहली बार इसी छुक-छुक ट्रेन की सवारी की थी.. 
वो भी सीधे चालक के रूप में.. 
मुँह से ही 'पी-पी' का हाॅर्न बजाते 
इससे न जाने कितनी बार घर, दालान, दुआर सब घूमा.. 
कई बार लड़ी-भिंड़ी भी.. 
पर संभल कर दौड़ती रही हमेशा...

ये जब से छूटी.. जिंदगी बेपटरी ही रही हमेशा.. 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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