सात सुरों की साज हो तुम !
कैसे तुम बिन जीवन संगीत बने !
मेरे जीवन की सुरमई संगीत हो तुम !
मेरी हर धड़कन की आवाज हो तुम !
कोई लफ्ज़ नहीं लिखने को तेरे वास्ते,
मेरी हर एहसास की धार हो तुम!
बस यही जताना था कि मेरी,
हर धड़कन की आवाज हो तुम!
तेरे बिन सब अधूरा ,
तुझ संग सब परिपूर्ण है!
खुद को मैंने खो दिया,
मगर तुम मुझमें संपूर्ण है!
नहीं कोई सफ़र तेरे बिन,
ना कोई मंज़िल की दरकार है
तेरे बिन सब खुशियाँ अधूरी ,
हर खुशियों की धार हो तुम,
मेरी हर धड़कन की आवाज हो तुम!
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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