Thursday, January 4, 2024

धुआं धुआं है फ़िज़ा रौशनी बहोत कम है
सभी से प्यार करो ज़िन्दगी बहोत कम है

हमारे गांव में पत्थर भी रोया करते थे
यहां तो फूल में भी ताज़गी बहोत कम है

तुम गगन पे जाओ तो चांद से कहना
जहां पे हम हैं वहां चांदनी बहोत कम है

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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