Monday, February 5, 2024

वो बारिश की बूंदे और तेरा बहकना
भीगे आँचल का तेरे सर से सरकना
मुझे बहुत याद आती है।

बागों के कलियों में भौरों का मंडराना
तुझे देख लेने तेरी गलियों से गुजरना
मुझे बहुत याद आती है।

वो छत पर खड़ी होकर गेसुये सुखाना
गलियों से गुजरते तुझसे नज़रे मिलाना
मुझे बहुत याद आती है।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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