Wednesday, February 7, 2024

हमारा दिल नहीं लगता तुम्हारे_बिन कहां जायें
कहां खोजे वो नादाँ दिन पता कुछ हो तो बतलायें

चलो किसी गाँव मेँ ठहरें, झटक लें धूप जीवन की
या फिर पुलिया पे जा बैठे हवाएं नम नहर की हों

हाँ बैठे नीम के नीचे जहां कोयल कुहकती हो
भरें मुठ्ठी मेँ कुछ कंकड़ उछालें कम कभी ज्यादा

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

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