Thursday, March 14, 2024

निकली वन से कलिका मृदुला,
जग देख रही मन भाव भरे।

चकि जात रही सकुचात रही,
बहु रूप अनूप  लगाव करे।

कुछ लोग भले कुछ लोग बुरे,
किस भांति  दुराव प्रभाव करे।

दृग काम भरे मन श्याम धरे,
बन लोलुप दृष्टि रिसाव रहे।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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