प्रेम अमृत है पिलाने कौन आयेगा।
रास मोहन बिन रचाने कौन आयेगा।
प्रेम की ये बात उद्धव तू क्या जानो,
बात दिल की ये बताने कौन आयेगा
प्रेम में ही डूब कोई ज्ञान पाता है,
बुद्ध बिन यह ज्ञान पाने कौन आयेगा।
प्रेम राधा कृष्ण का संसार क्या जाने,
दीप भीतर का जलाने कौन आयेगा।
ढाई अक्षर प्रेम का पढ़ प्रेम को जानो,
छोड़ मोहन यह पढ़ाने कौन आयेगा।
फूल खिलकर टूटकर जग को हँसाता है,
टूट खुद जग को हँसाने कौन आयेगा।
प्रेम अमृत खान है बस खोदकर देखो,
मत कहे ऐसा कराने कौन आयेगा।
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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