Wednesday, April 10, 2024

प्रेम के रंग में तुम गुलाल 
और हम अबीर हो गये,

कहाँ कुछ पता ही चला 
कब राँझा-हीर हो गये! 

प्रेम का ढाई अक्षर ही 
शाश्वत सत्य है, शांडिल्य 

यही पढ़-पढ़कर तो आज 
हम भी कबीर हो गये!! 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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