Tuesday, April 16, 2024
आकाश से ज़्यादा खाली केवल मन हो सकता है
सागर से ज़्यादा भरा हुआ भी केवल मन ही हो सकता है।
प्रकाश से तेज़ केवल मन ही चल सकता है
और पर्वतों से ज़्यादा स्थिर भी केवल मन हो सकता है।
आज मन की गति को पीछे छोड़ चांद पर हम आ गए
चलो चांद पर मिल एक आसियां बनाते हैं
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment