Friday, June 28, 2024

तुमको देखने के बाद फिर चाँद को क्यों देखूं,
चाँद ही कहता गया मैं, अपनी मुहब्बत के चाँद को।

तेरे चेहरे की चमक से चाँद फीका हुआ,
आसमाँ पर चाँद पूरा था,मगर तेरे सामने ये आधा लगा।

सब कहते है तुम्हे वो चाँद का टुकड़ा है,
पर मैं कहता चाँद को वो तेरा टुकड़ा है।

इसीलिए मेरे लब पर ये फरियाद आती है,
चांद को देखकर सनम तेरी याद आती है। 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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