Monday, July 1, 2024

तुमसे मेरा जुड़ना जैसे
ढलती रात और नया दिन,
बीता कल और नई सुबह,
स्वाति नक्षत्र और ओस की बूंदे!

तुमसे मेरा जुड़ना जैसे
पौधे से नई कोंपल फूटना
बिन मौसम बारिश का बरसना,

तुमसे मेरा जुड़ना जैसे
गर्म दिन में गुलाबी सी ठंड का एहसास,
ठंडे दिन में गर्म चाय और भुट्टो का स्वाद!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

No comments:

Post a Comment