मेरी मिन्नत है खुदा तुमसे, कि उनसे आंखें चार हो।
प्यार मिले या ना मिले, पर उनका ही दिदार हो।
मलमली दुपट्टा के नीचे, रेशमी कुर्ती औ सलवार हो।
गुलाबी होंठ, कमर पतली, लंबे बाल,नयन तलवार हो।
अदा हो बादलों जैसी नजाकत चाँद-सी चटकार हो।
इस पार हम,उस पार वो मचलती, बीच में मझधार हो।
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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