Friday, September 27, 2024

मदहोश करती अदायें, मयकदे से गुजरे ऐसे
जाम तेरे नयनों के, मयकदा तेरी मदहोशी

इश्क के समुंदर में, वो डुबकियां थीं ऐसी
वापस जो आना चाहें, लहरें खींचतीं मोहब्बतकी

भूलकर न भुला पायें, मोहब्बत है तेरी ऐसी
चढ़ी इश्क की मदिरा है, महक तेरे है यौवन की
बेचैनियाँ रात-दिन की, है मोहब्बत तुमसे ऐसी

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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