जिश्म की तुम मेरी कोई
अनमिट कहानी नहीं हो
आँखों से हुई तुम मेरी कोई
सुन्दर नादानी नहीं हो
अल्ल्हड़, मदमस्त सरित सी
बहती रवानी नहीं हो
आँखों से बरसता हुआ
प्रेम का तुम पानी नहीं हो
तुम मेरे जीवन का वसंत हो
पतझड़ की निशानी नहीं हो..!!!
~~~~ सुनील #शांडिल्य
No comments:
Post a Comment