Sunday, July 26, 2015
अश्क भी अब सहमें से पलकों मे छुपे रहते हैं
,
मेरी तरह ये भी तनहाई और घुटन सहते हैं
,
डरतें है कि कहीं देख ना ले इन्हे कोई
,
निकलना चाहते हैं पर मजबूरीयों में बंधे रहते हैं
|
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment