Friday, December 25, 2015

सावन की भीगी रातों ने इस दिल मै आग लगाई है
बेचैन किया कुछ यादों ने कुछ मार गयी जुदाई है

दिल चाहता है देखना तुझको दिल पागल तो सोदाई है
चूमा है हवा को भी ऐसे छु कर तेरे लब जैसे आई है

कैसे मूरत हुस्न की कोई देखूं आँख मै बस्ती अब तेरी ही परछाई है
अब आन मिलो मुझ से तुम सही जाती और नहीं जुदाई है

इक रोज मिलेगी तू मुझ से मेरे दिल ने आस लगाई है
तब कह दूंगा मै दुनिया से प्यार जीता और हार गयी जुदाई है..........

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