Wednesday, April 14, 2021

 मुमुक्षु हूं मैं, 

पर, मुझे नहीं आते 

ध्यान, ज्ञान, भक्ति, योग, तंत्र

बस, मैं आजीवन रचता रहूंगा

तुम्हारे लिए समर्पित, प्रेम गीत 

अपने अंतिम पग पर बुदबुदाउंगा 

तुम्हारा नाम अपने ईष्ट के मंत्र की तरह


सुनो दोस्त ! 

मेरे जीवन के समस्त हेतुओं का 

आधार बस तुम हो


----- सुनिल श्रीगौड

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