उडते हैं हम ख्यालों के आसमां पर
मगर वजूद ठहर जाता है तुम तक
रूह से रूह का मिलन होता है जब
मन्ज़िल मेरी मिल जाती है तुम तक
उठा के हाथ जब दुआ मांगता हूं रब्ब से
मेरी हर दुआ पहुंच जाती है तुम तक
मानो न मानो ये दोस्ती के रंग हैं
जब से हम तुम संग हैं
---- सुनिल श्रीगौड
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