Thursday, April 15, 2021

 उडते हैं हम ख्यालों के आसमां पर

मगर वजूद ठहर जाता है तुम तक


रूह से रूह का मिलन होता है जब

मन्ज़िल मेरी मिल जाती है तुम तक


उठा के हाथ जब दुआ मांगता हूं रब्ब से

मेरी हर दुआ पहुंच जाती है तुम तक


मानो न मानो ये दोस्ती के रंग हैं

जब से हम तुम संग हैं


---- सुनिल श्रीगौड

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