बांध लीया है जब तुमसे रूह का बन्धन
तो इजहार ए मुहब्बत को अल्फाजो की
जरुरत नहीं
कोई तो बात है तेरे इकरार में ए दोस्त
अब हमें रात भर शम्मा की ज़रूरत नहीं
बस ये मान लो तुम की तेरे दीदार से
पहले तो हमें साँसों की भी ज़रूरत नहीं
----- सुनिल श्रीगौड
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