हे पार्थ.. .
उठो , इस कर्म क्षेत्र मे
कोई मजबूरी नही
इक दूरी बन गई रिश्तों मे
जिन्दगी की अब धूरी यही
बनकर मतलबी अब
जीना है खुद के लिये
डर कर रहने से खत्म
महामारी होती नही
उठ कर करो सामना
बना हथियार स्वच्छता को
दूरी रखकर परस्पर
पहन ले मास्क को
हो जाओ तैयार
खत्म करने महामारी को
----- सुनिल श्रीगौड
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