तरसता रहा मन कि
कोई सहारा मिलता
मेरी भटकती जिन्दगी को
कोई किनारा मिलता
कह लेता जिसे हाल-ए-दिल सारा
राजदार कोई हमारा मिलता
भिगों देता आँसूओं से जिसे
ऐसा कांधा तो कोई प्यारा मिलता
पर इस अजनबी दुनिया मे सब
गजर वाले है कोई बेगर्ज नही मिलता
---- सुनिल श्रीगौड
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