Wednesday, April 21, 2021

 तरसता रहा मन कि 

कोई सहारा मिलता


मेरी भटकती जिन्दगी को 

कोई किनारा मिलता


कह लेता जिसे हाल-ए-दिल सारा

राजदार कोई हमारा मिलता


भिगों देता आँसूओं से जिसे

ऐसा कांधा तो कोई प्यारा मिलता


पर इस अजनबी दुनिया मे सब

गजर वाले है कोई बेगर्ज नही मिलता


---- सुनिल श्रीगौड

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