Thursday, April 22, 2021

 तेरे अल्फाज़ो में खुद को पाया है

यूँही तो नहीं दिल तुमसे लगाया है


मैं भटकता रहा अंधेरी गलियों में बनके राही

मंज़िल मेरी तो तेरी ज़ुल्फ़ों का साया है


तेरे मिलने से ही जाना हमने वो गीत कितना सुरीला है 

जो मिलकर हमने गाया है


---- सुनिल शांडिल्य

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