Sunday, April 25, 2021

 मेरी हर ग़ज़ल हर नज़्म 

तेरे ही नाम होती है


वो दिन बड़ा अच्छा गुजरता है

जिस दिन तुमसे बात होती है


जिस्म जिस्म से गर ना भी मिल पायें

रूह से रूह की मुलाक़ात होती है


लोग सूरज को ढूंढते फिरते हैं

अपनी तो हसीं रात होती है


----- सुनिल शांडिल्य

No comments:

Post a Comment