दिल चिरागों सा मेरा जलता रहे
चाहे वक्त हर पल बदलता रहे
तुम कभी ना हाथ छोड़ना मेरा
कारवां बस यूँ ही चलता रहे
तेरी निस्वार्थ प्रीत के बंधन में बंध
मेरा दिल यूँही मचलता रहे
थाम ले हाथ मेरा ज़ोर से
ये सफर सुहाना ढलता रहे
----- सुनिल शांडिल्य
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