तेरी वफ़ा के रंग से मैंने
रंग लिया है खुद को
अब जाने नहीं दूंगा कभी तुमको
अपने साथ बांध लिया है तुझको
हर सांझ करता हूँ मैं इंतज़ार तेरा
सिवा तेरे कुच्छ सूझता नहीं मुझको
ना समा पायेगा कोई दिल में
अब दिल के दरवाजे बंद हैं
---- सुनिल शांडिल्य
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