Friday, April 30, 2021

 ख्वाबो के नगर मे

सपनों के शहर मे


हा जाना है इक 

ख्वाब ये पुराना है


शायद ये पूरा न हो पाये

सांसों का भी कहा ठिकाना है


जीत जाऊँगा हर हालात से

हौसला ना अब डिगाना है


मजबूती से जो थामकर खङे

हर हालात से अब ऊबर जाना है


वक्त फिर लौट आएगा समां

फिर गुनगुनाएगा


बस यही इरादा बनाना है 


---- सुनिल शांडिल्य

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