Tuesday, April 6, 2021

निस्वार्थ समर्पण को मेरी कमजोरी मत समझ 

मन के रिश्ते को कच्ची डोरी तू मत समझ 

तुम पढ़ ही ना सकी ये कमी तुम्हारी है 

मेरे मन की किताब को कोरी मत समझ  

---- सुनिल श्रीगौड

No comments:

Post a Comment