पलकों की चिलमन उठा कर
यादों के झरोखों से
कुछ मोती चुरा लाया हूँ
सजानी है नए ख्वाबों की महफिल
सुनो..मै तुम्हे बुलाने आया हूँ
बिताए थे कल जो पल संग हमने
सुनो..मै उन्हे फिरसे जीने आया हूँ
किया था जो वादा तुमने
सुनो...उसे पूरा करवाने आया हूँ
---- सुनिल श्रीगौड
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