सपनों से कोई फिरौती जब कभी अंधेरा मांगे
तब सृष्टि के आँगनमें - हर दिशा सवेरा माँगे
इक बार उनकी जादुई छुअन ने प्राण दिये थे मुझको
ये धड़कन उसी छुअनका पावन पगफेरा माँगे
---- सुनिल श्रीगौड
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