तू जो नहीं है तो मुझमें कुच्छ कमी है
चेहरे पर झूठी हंसी पर आँखों में नमी है
ख्वाबो में ख्यालों में तेरा ही दीदार है
मुझे अब भी तेरा ही इंतज़ार है
तुम अब चल पड़ी हो तुम अब आ रही हो
इन्हीं उलझनों में यूँ दिल मेरा बेकरार है
----- सुनिल शांडिल्य
No comments:
Post a Comment