तेरी चाहत का वो मौसम
सुहाना याद आया
तेरा मुस्कुरा करके वो नजरें
झुकाना याद आया
तुझे देखने की खातिर जो
अक्सर गुनगुनाते थे
वो नगमा आशिकाना आज
फिर याद आया
तुम चली गयी कब की छोड़ कर
जाने क्यों गुज़रा ज़माना याद आया
---- सुनिल शांडिल्य
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