Friday, June 11, 2021

 जो मेरी जिन्दगी चल रही है

ये तेरा ही काम है


सुबह-ओ-शाम लब पर रहता

तेरा ही नाम है


भटकते राही को दिया मंज़िल का पता

तेरा मुझपे एहसान है


माना हम जिस्म दो हैं मेरे दोस्त

पर अपनी ऐक ही जान है


अब क्या जुदा करेगी दुनिया 

जबतक तुम हम संग हैं 


----- सुनिल शांडिल्य

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