Wednesday, June 16, 2021

 नशीली है नज़र तेरी

और शराबी है नजरिया


है सूरत तेरी चांद सी

उफ्फ ये बदन गुलाबी


लगे अजंता की तू मूरत

तसव्वुर तू हर शायर की


है,नूर गजल सा तुझमें

चेहरा तेरा गजब किताबी


तितली सी दो पलकें तेरी

थिरकती हैं व मचलती हैं


लरज़ते सुर्ख़ दो लब हैं

नज़ारा  क्या शबाबी है ।।


---- सुनिल शांडिल्य

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