ये भला कौन जानता है
किस हद्द तक जाना है
किस मंज़िल को पाना है
कब दुनिया से चले जाना है
मेरे दोस्त याद करें मुझको
यही जिंदगी का फसाना है
चला चल राही सफर में अपने
अभी और मंज़िलों को पाना है
---- सुनिल शांडिल्य
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