तुम उस किताब सी खूबसूरत हो
जिसके हर पन्ने पर मेरी नज़्म हो
जैसे कि
बेखुद होकर मस्त हवाएं लहराए
आंचल तेरा मेरे चेहरे पे सज जाए
जादू हल्का हल्का सा छाए
उफ्फ..ये तन मन मेरा मदहोश होता जाए
तेरे तन की खुशबू से मैं महक जाऊं
मेरे मन मंदिर में सिर्फ तुम बस जाओ ।।
---- सुनिल शांडिल्य
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