अब सफर कट जायेगा जब
तेरी दोस्ती का साथ है
मिल जायेगी मन्ज़िल भी हमें
हाथ में जो तेरा हाथ है
मैं भूल जाता हूँ गम-ऐ-ज़िंदगी को
होती जब तुमसे मुलाक़ात है
जब मिलते हैं हम दोनों आपस में
होती बेमौसम बरसात है
---- सुनिल शांडिल्य
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