कब के अलविदा हम कह
चुके होते इस ज़िन्दगी को
ये ज़िन्दगी हमको यूँ प्यारी ना होती
गर इतनी प्यारी सोच तुम्हारी न होती
भटक रहे होते हम भी खिजां में
मुलाकात यूँ तुमसे जो हमारी न होती
बिन दोस्त ज़िन्दगी की गलियां तंग हैं
अगर तुम हमारे संग ना होती
---- सुनिल शांडिल्य
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