वो सादगी से भरी निगाह
वो हजारों सवाल करती निगाह
कभी न खत्म होने वाली खामोशी
मेरे लफ्जों का न मिलने वाले वो शब्द
एक टक ठहरती नजरे तुझ पर
वो हताश होकर देखने वाली नज़र
फिर कुछ न कहने वाली हिम्मत
तोड़ कर रख देती है मुझे
तेरी ये दूरियों की मोहब्बत
No comments:
Post a Comment