मैं लिखता हूँ,की तुम पढ़ोगी
शब्द रचूंगा गीत बनूँगा
हर राह सुनाया जाऊंगा
हर बार जब कोई पूछेगा मेरे होने का सबब
कुछ न कहूँगा लिखूंगा,जवाब बन जाऊंगा
मेरा इज़हार एक ग़ज़ल होगी
मेरा इनकार एक नज्म होगी
मैं जीता हूं,रोज मरने के लिए
मौत के बाद एक ख़त सा पढ़ा जाऊंगा ।
---- सुनिल शांडिल्य
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