Saturday, July 10, 2021

 मैं लिखता हूँ,की तुम पढ़ोगी

शब्द रचूंगा गीत बनूँगा

हर राह सुनाया जाऊंगा


हर बार जब कोई पूछेगा मेरे होने का सबब

कुछ न कहूँगा लिखूंगा,जवाब बन जाऊंगा


मेरा इज़हार एक ग़ज़ल होगी

मेरा इनकार एक नज्म होगी


मैं जीता हूं,रोज मरने के लिए

मौत के बाद एक ख़त सा पढ़ा जाऊंगा ।


---- सुनिल शांडिल्य

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