Friday, July 9, 2021

 सर्दियों की ओस में

तेरी साँसों की चादर चुरानी हैं


आसमां अलग हैं सपनों का,

बादल पर दुनिया बसानी हैं


नया है ये नशा जो चढ़ा तेरा,

फ़ैली हर ओर रूत सुहानी है


कहाँ हो तुम ??

की,आ जाओ मेरी आगोश में ,


ओ मेरे हमसफ़र ,

मिश्री सी घुलती ये हमारे प्यार की निशानी है ।


---- सुनिल शांडिल्य

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