सर्दियों की ओस में
तेरी साँसों की चादर चुरानी हैं
आसमां अलग हैं सपनों का,
बादल पर दुनिया बसानी हैं
नया है ये नशा जो चढ़ा तेरा,
फ़ैली हर ओर रूत सुहानी है
कहाँ हो तुम ??
की,आ जाओ मेरी आगोश में ,
ओ मेरे हमसफ़र ,
मिश्री सी घुलती ये हमारे प्यार की निशानी है ।
---- सुनिल शांडिल्य
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