तेरी बूंद बूंद इश्क से
मैं सागर हुआ ..
इस सागर-सा गहरा इश्क लिए,
भाप बनकर तेरे पास उड़ चला ..
ताकि तू बादल बन
बूंद बूंद इश्क बरसा सके ..
और मैं तुझ पर
अपनी सागर सी
गहरी इश्क लुटा सकूं......!!
---- सुनिल शांडिल्य
No comments:
Post a Comment